सलमान खान कहते हैं " पाकिस्तानी एक्टर्स आतंकवादी नहीं हैं। उन्हें प्रॉपर वीजा मिला हुआ है।" मैं उस सवाल पूछनेवाले जर्नलिस्ट की जगह होता तो तुरंत दूसरा सवाल करता " किसने कहा, पाकिस्तानी कलाकार आतंकी हैं? "
सलमान खान अपने स्टेट्मेंट्स को लेकर पॉलिटिकली कितने करेक्ट होते हैं ? याद कर लीजिए, तनाव के माहौल में उनका एकाध समझदारीभरा बयान! वे उन मौकों पर बयान देते हैं, जहां कहना गैरवाजिब होता है।
ये वही सलमान खान हैं, जो राज ठाकरे के एक बुलावे पर उनके घर चले जाते हैं। अखबारों में इनकी, आमिर खान की और दूसरे सेलिब्रिटीज की राज ठाकरे के साथ गहन मंत्रणा दिखाती फोटो छपती है। बैठक में देश में शांति स्थापना के लिए मंथन की भाव-भंगिमाएं होती हैं। अभी खबर आई थी कि सलमान खान ने राज ठाकरे से अनुरोध किया है कि वे पाकिस्तानी कलाकारों को भारत में काम करने दें। फिर सलमान के पीआर मैनेजर्स की ओर से इस खबर का खंडन किया गया। अब सलमान ने आज कह दिया "पाकिस्तानी कलाकारों को आखिर वीजा जारी होता है और वो कौन जारी करता है ..? " जाहिर है सरकार।
शायद सलमान के पिता सलीम खान उन्हें डांट रहे होंगे। सलीम ने जावेद अख्तर के साथ मिलकर उतनी स्क्रिप्ट्स पर काम नहीं किया होगा, जितना सलमान के लिए सफाई देने या दिलवाने के लिए उन्हें करना पड़ता है। वे अपने को ट्विटर पर ले आए। वे सलमान के फादर से गॉडफादर की भूमिका में आ गए हैं।
सलमान खान ने एक बजरंगी भाईजान फिल्म की है। उसके बाद से वे बड़े खुले विचारों वाले दिखने लगे हैं। उनकी पीआर टीम ने इमेजमेकिंग पर काफी मेहनत की है। कटरीना कैफ के प्रति उनकी उदारता की मिसालें दी जा रही हैं। "सच्चा प्रेम ऐसा होता है" जैसी।
होता है यह है कि फिल्म सितारों की प्रेस कान्फ्रेंस में निकल कर कुछ नहीं आता। उन्हें कवर कर रहे पत्रकारों पर दबाव रहता है कि वे कुछ ऐसा बुलवाएं, जो हेडलाइन बन जाए। सलमान खान इसके लिए सही चुनाव हैं। उनकी जीवनशैली और सोच तकरीबन हर भारतीय को टीवी और समाचारों के माध्यम से मालूम है। अब जो उन्हें जान गया है, वो मान गया होगा " ये बंदा आज भारत का सबसे बड़ा सुपरस्टार है, लेकिन आईक्यू लेवल डाउन है। ऊल-जलूल बोलता रहता है।"
शायद इस दफा सलमान खान ने वीजा कौन देता है ? कहकर नासमझी में सही कहा है! मैं यहां जजमेंटल नहीं हो रहा। मैं केवल एक पक्ष रख रहा हूं। आखिरकार पाकिस्तानी कलाकारों के बारे में फैसला केंद्र सरकार को करना है।
राज ठाकरे को अधिकार नहीं है कि अपनी पार्टी के गुंडों से पाकिस्तानी कलाकारों को डराएं। पाकिस्तानी कलाकारों से ज्यादा तो बेचारे करण जौहर डर गए हैं। हालांकि अनाप-शनाप बोलने में उनका भी कोई सानी नहीं है। लेकिन वे इस तरह के दौर में चुप हो जाते हैं। करण फैमिली शोज में अश्लील हो जाते हैं और बाद में माफी मांग लेते हैं। हाथ जोड़ लेते हैं। सरेंडर कर देते हैं।
माय नेम इज खान के समय उन्होंने यही किया था। शाहरूख अड़े थे। करण झुक गए। फिल्म रीलीज हो गई। उस फ्लॉप फिल्म का एक डॉयलाग मशहूर हो गया- मॉय नेम इज खान, एंड आई एम नॉट ए टेरेरिस्ट। मॉय नेम इज खान के पहले शाहरूख ने आईपीएल में पाकिस्तानी खिलाडिय़ों को खेलने का अवसर देने की बात कही थी। बस, शिवसेना उबल गई। शाहरूख को माफी मांगने कहा गया। धमकी दी गई। शाहरूख झुके नहीं। देशभक्ति दिखाने के लिए कट्टरपंथियों के सामने झुकने की जरूरत नहीं होती।
अभी कुछ महीनों पहले आमिर खान का गला सूख गया था। उन्होंने कहा था " मेरी बीवी कहती है, माहौल खराब हो रहा है, हमें किसी दूसरे देश में सैटल होना चाहिए। आमिर ने कहने के बाद उसके रिएक्शन का नहीं सोचा। और देखिए सत्यमेव जयते से सोशल एक्टिविस्ट की प्रभावी भूमिका में उतरनेवाले आमिर की देशभक्ति सवालों के घेरे में चल रही है।
उसके कुछ दिनों बाद सलमान खान, दाऊद के भाई याकूब मेमन की फांसी पर आपत्तिजनक ट्विट कर बाल-बाल बच गए। और अभी यह नया बयान दे दिया है। भारतीय दर्शकों की नब्ज इन तीन खानों के हाथ है। इसके बावजूद तीनों उन मौकों पर गलतबयानी कर जाते हैं, जहां उन्हें चुप रहना चाहिए।
अमिताभ बच्चन ने पॉलिटिक्स में फजीहत के बाद से जो कान पकड़े हैं, आज वे उठने-बैठने तक में पॉलिटिकली करेक्ट होने की पोजीशन का ख्याल रखते हैं। तीनों खानों को बच्चन से सीख लेनी चाहिए। बात यह नहीं है कि अमिताभ हिंदू हैं और मुसलमान सितारों को पाकिस्तान के बारे में बोलने से पहले दस बार सोचना चाहिए। मुद्दा यह है कि भैया आप बोलते ही क्यों हो?
इस दीवाली आ रही फिल्म 'ऐ दिल है मुश्किल' में साइड कैरेक्टर कर रहे फवाद खान एमएनएस की धमकी के बाद से मुंबई से गायब हैं। पाकिस्तानी मीडिया ने कहा है "वो हमारे यहां नहीं उतरे।" हो सकता है अब उतर गए हों। मुद्दा इससे जुड़ा है कि फवाद ने कोई स्टेटमेंट नहीं दिया, सलमान को बोलने की क्या जरूरत है?
राज ठाकरे जैसे अराजक नेता इसी तरह पब्लिसिटी पाते हैं। अपनी बुझी पार्टी की बाती जलाते हैं। एक तरफ आप राज ठाकरे के घर जाकर मुंबई के विकास जैसे विषयों पर बैठक करते हो। गलबहियां करते हो। दूसरी तरफ कहते हो " पाकिस्तानी कलाकारों को वीजा किसने दिया?"
अभी देश का माहौल नहीं दिख रहा सलमान को। राज ठाकरे ने इस माहौल में अपनी रोटी सेंकनी शुरू कर दी है। भारत का माहौल उड़ी अटैक के बाद से आक्रामक है। अभी पाकिस्तान से आ रही मिठाई भी हमें जहर लगेगी। पाकिस्तान कोई महान प्रजातांत्रिक और साझा तरक्की में यकीन रखनेवाला मुल्क नहीं है, जो अपने कलाकारों को शांतिदूतों के रूप में भारत जाने की इजाजत देता है।
भारत की ज्यादातर फिल्में पाकिस्तान में रीलीज नहीं होने दी जातीं। एमएस धोनी- द अनटोल्ड स्टोरी की रीलीज वहां बैन कर दी गई है। इसके पहले ढिशुम को प्रतिबंधित किया गया था।
इस मामले में सलमान, शाहरूख और आमिर की फिल्में अपवाद हैं। बजरंगी भाईजान तो वहां सबसे अधिक कमाई करनेवाली फिल्मों में आती है। आमिर की पीके, सलमान की बजरंगी भाईजान और शाहरूख की मैं हूं ना, मॉय नेम इज खान, वीर जारा वगैरह में पाकिस्तान एक पक्ष की तरह दिखता है। कोशिश होती है अमन का पैगाम देने की।
बहरहाल तीनों खानों की देशभक्ति पर कोई शक नहीं है। लेकिन माहौल देखकर बोलना इन तीनों को ही सीखना होगा। जैसे, अमिताभ बच्चन सीख गए। पाकिस्तान में इन तीनों के मिलाकर जितने फैंस नहीं होंगे, उससे ज्यादा अमिताभ बच्चन के हैं। समस्या इन तीनों की लोकप्रियता बढ़ाने की भूख है। आप अपने को पूरी दुनिया (पाकिस्तान समेत) का सितारा दिखाना चाहते हो। आप खुश हो जाते हो कि पाकिस्तान में हमारे इतने फैन हैं। आपकी ब्रांडिंग इससे बढ़ती है।
फिल्म इंडस्ट्री में बिजनेस पहले चलता है। हिंदू-मुसलमान, भारत-पाकिस्तान लागू नहीं होता।
फिल्में कहां, कैसे बिजनेस करती हैं, यह पहला मकसद होता है। हो सकता है सलमान ने पाकिस्तानी कलाकारों के समर्थन में बयान पाकिस्तान में अपने प्रशंसकों के मद्देनजर दिया हो ! हो सकता है पाकिस्तानी कलाकारों से उनकी अच्छी जमती हो ! जमती भी है, अदनान सामी, राहत फतेह अली खान से तो बहुत ज्यादा। फवाद खान को तो वे अपने बैनर की एक फिल्म में मेन लीड लेना चाहते थे। फिल्म फ्लोर पर जाने को तैयार थी कि उड़ी हमला हो गया।
सलमान के इस बयान के पीछे केवल बिजनेस है। राज ठाकरे, सलमान के दोस्त हैं। मीडिया के सामने सवाल रखने के बजाय सलमान, राज ठाकरे को कह दें- " मेरे प्रोडक्शन की फिल्म का हीरो है फवाद। "
यह क्या बात हुई कि आप राज ठाकरे के सखा हैं और इधर मीडिया से सवाल कर रहे हैं " पाकिस्तानी कलाकारों को वीजा किसने दिया? "
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