भारत की सर्जिकल स्ट्राइक पर आज शरद पवार बोले हैं। उन्होंने कहा ‘मेरे रक्षामंत्री होते हुए भी चार बार सर्जिकल स्ट्राइक की गई, हमने प्रचार नहीं किया। ’
आजकल भारत-पाकिस्तान मुद्दा नहीं हैं। हम सर्जिकल स्ट्राइक के होने, न होने पर भिड़े हुए हैं। बार्डर पार की नीति भी देशी राजनीति में फंस गई है। भाजपा के नेताओं और ‘लोकल नेताओं’ को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि अब कुछ ज्यादा ही हो रहा है।
देश की भावना का सरकार ने सम्मान किया। बहुत ही अच्छा किया। अब भावना से खिलवाड़ न हो।
इस मसले का मैं और आप व्यापक विश्लेषण करें। सब समझ आ जाएगा। भारत और पाकिस्तान दोनों कहते हैं, हम युद्ध नहीं चाहते। दूसरी तरफ दोनों देश के हुक्मरान अपनी जनता को बता रहे हैं कि हम तैयार हैं। हम डरनेवाले नहीं हैं। हम करारा जवाब दे रहे हैं।
मीडिया आग में घी डालने का काम कर रहा है। इलेक्ट्रानिक मीडिया ने इतने रिपोर्टर लगा रखे हैं कि लगता है युद्ध कवरेज चल रहा है ।
इससे फायदा दोनों देशों की सरकारों को हुआ है। उन्हें अब केवल आक्रामकता दिखानी है। देश में चल रही परेशानियों का जवाब नहीं देना।
दोनों राष्ट्रों की गरीबी-बेरोजगारी खत्म हो गई है। भारत और पाकिस्तान की सारी अंदरुनी समस्याएं जड़समेत उखड़ गई हैं। भारत-पाकिस्तान का हर चैनल खुश है। न्यूज एंकर मुंह से रॉकेट लांचर दाग रहे हैं।
विश्लेषकों की फौज चैनलों के आफिसों में डटी हुई है।
पाकिस्तान के नेता एक से एक हैं, हमारे भी कम नहीं हैं। अरविंद केजरीवाल को ही लीजिए। बंदा दिल्ली का मुख्यमंत्री है। अपने राज्य में डेंगू-मलेरिया उनसे संभल नहीं रहा। वे भारत-पाकिस्तान पर वीडियो जारी कर "अपारंपरिक" राजनीति का प्रदर्शन कर रहे हैं। केंद्र सरकार उन्हें उपराज्यपाल नजीब जंग की एलओसी तक ही सीमित रखती है इस पर अरविंद केजरीवाल का कान्फिडेंस देखो। आम आदमी पार्टी के विधायकों के वीडियो पूरे देश में सनी लियोन से ज्यादा हिट हैं। उस पर भी बंदा दिल्ली में बैठ कर। मुख्यमंत्री के कामकाज का सारा झंझट मनीष सिसोदिया को सौंप कर। उस सरकार को सबूत पेश करने की सलाह दे रहा है जो उसकी बैंड बजाती रहती है।
पाकिस्तानी मीडिया ने केजरीवाल का वीडियो देखा और भारत के इस आम आदमी को पाकिस्तान में हीरो बना दिया। आगबबूला रविशंकर प्रसाद ने केजरीवाल को प्रसाद खिलाया। उधर राजनाथ ने लेह से शब्दबाण चलाए। रवि (रविशंकर प्रसाद) और राजू (राजनाथ सिंह) को केजरीवाल की सलाह पर प्रतिक्रिया नहीं देनी थी। उनको कहना था " हमने केजरीवाल का वीडियो नहीं देखा। हम गंदे वीडियो नहीं देखते। पिछली बार उसके एक मंत्री का वीडियो देख लिया था। प्रायश्चित करने के लिए उपवास करना पड़ा।"
फिर क्या? केजरीवाल हड़बड़ा जाते। शंका में अपना ही वीडियो जांचने लगते। कहीं इधर-उधर का कुछ जुड़ तो नहीं गया।
थप्पड़ से डर नहीं लगता साहब, आपके मंत्री के वीडियो डर लगता है। केजरीवाल को एक आम सलाह "ओ भाई..तुम बोलते ही क्यों हो? तुम्हारी खांसी ठीक हो गई है, बधाई। लेकिन डॉक्टर ने यह तो नहीं होगा कि जहां फंदा देखो वहां गर्दन दे देना। "
केजरीवाल से आगे निकलर शिवसेना से कांग्रेस में आए संजय निरूपम ने सीधे-सीधे सर्जिकल स्ट्राइक को फर्जी कहा। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला फटाक से सफाई देने आए "कांग्रेस का संजय निरूपम के बयान से कोई लेना-देना नहीं है। "
अब हम क्या समझें, सर्जिकल स्ट्राइक को फर्जी कहनेवाले निरूपम स्वयं फर्जी हैं।
निरूपम केंद्रीय स्तर के नेता नहीं हैं। उनका फेसियल एक्सप्रेशन देखिएगा, ध्यान से। बेचारे कब्ज से परेशान दिखते हैं। टॉयलेट में पूरा घंटा बितानेवालों का प्रतिनिधित्व संजय निरूपम की भाव-भंगिमाओं में नजर आता है। निरूपम को मोदी के स्वच्छता अभियान से चिढ़ है! पटरीपार कहीं बैठे होंगे। निवृत्त होने के बाद उन्हें कहीं राकेट-मिसाइल नहीं दिखे होंगे। भोले-भाले निरूपम ने कह दिया " सर्जिकल स्ट्राइक फेक लगती है। "
केजरीवाल और निरूपम से कहीं बड़े नेता सीताराम येचुरी ने इन दोनों से पहले शक जाहिर किया था। उन्हें ट्विटर, फेसबुक में इतने कमेंट मिले कि अब उन्हें सपने में अपने पर सर्जिकल स्ट्राइक होती दिखती है
अब सीताराम येचुरी से भी बड़े नेता शरद पवार के बोल फूटे हैं। वे ज्यादा संभलकर बोले। बीसीसीआई से धकियाए जाने के बाद उन्हें सुर्खियों में बने रहने की आवश्यकता है। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद इस देशकाल-परिस्थिति में हर नेता बोल रहा है।
एक नेता शांत है। अपने चिरपरिचित अंदाज में चुप है, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह।
पक्ष-विपक्ष के बयानों को सुनकर वे मुस्कुराते होंगे। मन ही मन कहते होंगे-
"बेटा हमको सब पता है। दस साल चलाया है देश।"
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