राहत किसी शहर में रहती होगी !- 1
यहाँ सीएनजी ऑटो में अब दिल लगता नहीं। तुम आ जाओ ।
"ओह राहत तुम कहां हो! पहले कभी कहा नहीं, सामने नहीं हो तो बोल सकता हूँ , कहाँ हो मेरी जान"
मोबाइल तुम्हारा झंडू था, इसलिए व्हाट्सअप नामक पापी सॉफ्टवेयर ने तुम्हारे माथे पर लास्ट सीन भी नहीं लिखा होगा। फेसबुक तो तुम्हारा कब से अपडेट नहीं है।
तुमको मैं फाइंड कैसे करूं? कोई सगा तुम्हारा ... ?? था भी कौन !
आओगी तो पाओगी कि यहाँ टिंडा बाजार में टिंडर हो गया है। ओह... तुम टिंडा गर्ल .. कहाँ हो तुम ?
तुम टिंडा खानेवाली , पाव किलो बोलने वाली, जबकि मैंने तुम्हें कहा था पाव किलो नहीं होता।
"या तो पाव होता है या किलो होता है "
टिंडा खरीदने बाजार जाने वाली और मुझसे थोड़ा-बहुत वहीं बतिया लेनेवाली तुम टिंडर क्या जानो ?
हम ना तो घर-घर खेल पाए, और ना टिंडर-टिंडर।
खैर छोड़ो
हम लास्ट बार कब मिले थे ???????
शायद एक नौकरी की तलाश में ! तुम सुट्टा लगाते लड़कों के बीच से निकलने की कोशिश कर रही थी।
फिर किसी ने तुम्हें सेक्सी कह दिया। तुम नाराज़ हो गई। मैं खुश था।
तुम सेक्सी हो। मैं नहीं कह पाया था, उस क्लासिक माइल्ड की अवैध औलाद ने कह दिया।
ये कॉम्प्लिमेंट है ! बड़े शहर में यही होता है!!तुमने खुद को पीछे से नहीं देखा ना ! पीछे से तुम वही हो जो उस लड़के ने कहा। तुम्हारे साथ होने के बाद तुम्हें जाते हुए देखना .. ओह राहत तुम सेक्सी हो। पीछे से।
तुम उसके बाद से जाने कहाँ गई ? एक मिस कॉल भी नहीं छोड़ा।
तुम्हारे जाने के बाद जिंदगी ऑटो हो गई है। हर चौक पर रुककर आगे बढ़ जाती है।
किराया अलग बढ़ रहा है। मंजिल है कि सुबह कुछ और होती है... और शाम कुछ और !
ये मंजिल क्या है ?
शायर लोग लिख मारे .. हम मर रहे हैं... मंजिल हर दो -तीन साल में बदल जाती है और हम साले वहीं के वहीं।
तुम क्या 'कट' ली, अपन तो आवारा हो गए। कल तुम्हारी सहेली मेट्रो में थकी हुई मिली थी। पीछे एक विराट कोहली टाइप हेयर कटिंग वाला लौंडा उसकी जींस की पिछली जेब में बटन टांक रहा था।
मैंने तुम्हारे बारे में पूछा तो फ्रैंकली ... फ्रैंकली करके बोल रही थी।
वो बोली " फ्रैंकली बोलूं तो राहत का पता नहीं। वो सेक्सी नहीं थी ना , फ्रस्टेट होकर रहती होगी किसी शहर में , फ्रैंकली बोलूं तो "