Thursday 28 July 2016

असल तस्वीर का एक ही पहलू





इस तस्वीर को देखिये। राज्य के पहले मुख्यमंत्री का विरोध-प्रदर्शन का एक 'अम्ब्रेला शॉट' , वो छाते के नीचे जो हैं।  एक और तस्वीर है जो सीएम हाउस के सामने की है। दोनों तस्वीरों में अजीत जोगी के चेहरे के भाव पढ़िए। मैं अजीत जोगी होता, तो मैं भी सरकार के सामने खुद को खड़ा करने के लिए यही करता। किन्तु मैं जोगी नहीं हूं । जोगी का  प्रदेश बंद एक पॉलिटिकल स्टंट था ! या वे मुद्दे के प्रति ईमानदार हैं कि एक गरीब का अपाहिज़ बेटा आग लगाकर जान दे दे तो हर गरीब  को दर्द होता है।  सुननेवाले की रूह कांप जाती है। फिर उस परिवार का क्या! जिसने अपने बेटे की तस्वीर अख़बारों के फ्रंट पेज पर देखी। उनका बेटा आग में लिपटा दर्द में चीख रहा था। वो किसी सूखते पेड़ सा जलकर गिर रहा था। शरीर और गरीबी से हार चुके बेटे ने आग लगाकर जान देने की कोशिश की, यह सुनना हृदयविदारक है। पर उतना नहीं जितना वह तस्वीर देखना जिसमें पैरों से लाचार बेटा जान देने के सबसे भयानक और दर्दनाक तरीके को गले लगा रहा है। बेटे को अस्पताल में तड़पता देखकर परिवार को डॉक्टर से जैसी भी संवेदना मिली हो। सुबह वह अथाह वेदना में बदल गई होगी केवल उस तस्वीर से! आग की लपटों में घिरकर लड़खड़ाकर ज़मीन पर गिरते बेटे के चेहरे का दर्द मां-बाप और बहनों ने पढ़ लिया होगा। तस्वीर उस परिवार के पूरे अरमानों को जला देने के लिए काफी थी। मैं आग में जलते किसी अपने की तस्वीर देखने के क्षण की कल्पना भी नहीं कर सकता । मैं तो जिन्दा ही मर जाऊंगा। योगेश का परिवार भी मेरी तरह का होगा। हम सभी योगेश के परिवार की तरह के हैं।
डॉ. रमन सिंह ने भी वो तस्वीर देखी होगी। अजीत जोगी ने भी और भूपेश बघेल ने भी।
प्रदर्शन सियासत का पहिया है। जोगी का प्रदर्शन कितना भावनात्मक है! यह उन्हें जनता को बताना चाहिए। उनके करीबियों को लगता है कि उन पर निगरानी बिठाई  गई है। जोगी के खास समर्थक फ़ोन टैपिंग की आशंका भी जताते हैं। क्या सीएम हाउस के सामने गुरुवार को जो वाकया हुआ वो मौत पर दोनों ओर से की जा रही सियासत की असल तस्वीर है जिसका एक ही पहलू  सामने आया है !जिसके चलते जोगी को वीणा सिंह की भिजवाई चाय लौटानी पड़ी।
 सियासत देखकर यही कहूंगा कि मैं योगेश की तरह का आम इंसान हूँ। मैं न किसी की चाय पीना चाहता और न  बुरे से बुरे दिन में यह सोच सकता  कि मेरी मां को मैं आग में जलता दिखाई दूं। योगेश भी मेरे जैसा रहा होगा। वो हम सबके जैसा रहा होगा।

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