Friday 23 September 2016

आह.. . तू बर्फ हो जा चांदनी रात में पिघलने के लिए



तूने बर्फ देखी होगी मेरी आंखों में
बड़े अरसे से ये नहीं पड़ी है
गर्मियां लूट रही हैं मुझको
इस साल बारिश भी कम पड़ी है
बड़े दिन बाद  लौटा हूं
जलती आंखों में सूखा लेकर
पुराने नाले का किनारा देखने
उसमें रुका पानी छोडऩे 
धूप से सस्ते हैं मेरे ख्वाब
बेमुरव्वत आखिरी हिस्से में
आह .. .तू बर्फ हो जा
चांदनी रात में पिघलने के लिए 



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