Saturday 6 August 2016

ज्यादा हरा मुल्क 2

jyada hara mulk part 2      ज्यादा हरा मुल्क  2                                                      

 

 


खाना खत्म हुआ। पीठ में बैग बांधकर चारों सावधानी से खड़े होने लगे। इस कोशिश में अमानत पीठ के बल पलटी खाता हुआ गिर गया। उसके पैर हवा में आ गए।
एफ-वन ने उसके कूल्हे पर चिढ़भरी ठोकर लगाई ‘गलती कर दी तुझे लाकर।’
अमानत ने उसे अपना दम दिखाते हुए पैर जमाए और सट से उठ खड़ा हुआ। इससे उसकी एके-47 लबादे के अंदर से नीचे सरक गई और उसके पंजों में सीधी आ गिरी। दमदारी दिखाता अमानत शर्मिंदा हो गया।
एफ-वन की सुर्ख आंखें फैलने लगीं। गुस्सा निगल जाने की कोशिश में चेहरे की नसों में इतना तनाव आया कि नकाब का काम कर रहा मफलर खुल गया। उसकी आंखें सुर्ख होने के साथ-साथ हल्की पीली थीं, जो बता रहीं थीं कि उसे नींद नहीं आती। चेहरा बिखरी हुई दाढ़ी से भरा हुआ था।
उसने थूक निगलते हुए खुद पर काबू पाया और बाएं हाथ को कमर से आगे फेंककर चलने का इशारा दिया।
खेत में खड़ी फसल के बीच कमर से नीचे तक झुककर चारों आगे बढऩे लगे। उनका पहला पड़ाव दरिया का किनारा था। छोर के खेत की मेड़ से दस कदम की दूरी पर दरिया का बहाव था। खेत और दरिया के बीच संकरी नाली बनी हुई थी। खेतों का अतिरेक पानी उससे बहकर दरिया में जाता था। चारों उस नाली के पास बिना रुकावट पहुंच गए। अमानत के खाली पेट से आवाज निकली-
टूंऊऊऊऊऊऊऊऊ..ट्वें..
एफ-वन ने उसे हिकारत से घूरा ‘ खाकर नहीं आया हराम..गोलियों का पट्टा कस ले..तेरे गुर्दों की आवाज काफिरों को हमारे पास बुला लेगी..’
नाली में उन्हें डेढ़ सौ मीटर दूर सडक़ तक उसी तरह सरकना था जैसा उन्होंने सुरंग में किया था। चारों अपने-अपने कोड नेम के क्रम में लेट गए। नाली का पानी और पतला कीचड़ अमानत की नाक में भरा जा रहा था। कैंप में उसे पानी में नाक डालने की ट्रेनिंग नहीं मिली थी। अमानत की नाक से बुलबुले छूटने लगे। बुड़बुड़़ होने लगी। आगे से एफ-थ्री ने उसे नाक और चेहरे को हथेली से ढंकना बताया। अमानत को राहत मिली। मगर अब भी अंतडिय़ां उसे बैचैन कर रही थीं। उसी पल उन्हें नाली में घिसटना बंद करना पड़ा। पुलिया के ऊपर बख्तरबंद गाड़ी आकर रुकी, जिसमें से दर्जनभर जवान कूदे। उन्होंने टार्च लगे हेल्मेट पहन रखे थे। हाथों में एके-103 थी। जवान अत्यधिक सतर्क थे। उनके बूटों की धमक अमानत को पास आती सुनाई देने लगी।
किसी का निर्देश फैलाता भारी स्वर बता रहा था कि फोर्स को खबर हो चुकी है ‘खेत की सुरंग सियारों का काम नहीं है। इंटेलीजेंस से मिली टिप सही है। दूर नहीं गए होंगे वो।’
अगुवाई कर रहे एफ-वन ने खास हल्के तरीके से पैर हिलाया। इससे पानी की सतह में हल्की हलचल हुई। यह हमले का इशारा था! क्योंकि अब बचने का मौका नहीं था। चारों को एक साथ उठ खड़े होकर फोर्स के जवानों पर गोलियां चलानी थीं। 
अमानत को ट्रेनिंग कैंप में आए बड़े पेट वाले लीडर महमूद की बात याद आई। महमूद ने उसकी उम्र के सारे लडक़ों के कांधों में हाथ रख-रखकर यह बात कही थी-
हम कौन हैं..जानते हो ना..हमको तबाह करने की साजिश करते हैं काफिर। उन्हें लगता है ये दुनिया उनके इशारे पर चलनी चाहिए। वो हमको हिकारत से देखते हैं। उनको बताना है कि हमारा ईमान जिंदा है..हम उनका सर उड़ाकर यह बताएंगे..जेहाद ..कुर्बान हो जाओ..
अमानत को अब तक समझ नहीं आया था कि महमूद को कैंप में क्यूं ‘मौलाना’ बुलाया जा रहा था।
तब एफ-वन भी वहां था। उसने महमूद के हाथ चूमे थे। अमानत नहीं चाहता था कि उसे भी यह करना पड़े क्योंकि महमूद उसे बूढ़े भालू का भतीजा दिखता था। ट्रेनिंग कैंप से निकल वो सीधा एफ-फोर के साथ चला आया था। अम्मी से दो मिनट के लिए मुलाकात हो पाई थी। इतने समय में बेचारी कहां से खाना लाती और कहां से टिफिन भरता। अमानत का पेट फिर बजने लगा। लेकिन नाली के पानी में आवाज दबी रह गई। एफ-वन के इशारे बाद भी वो तीस तक की गिनती करना भूल गया था।
 बचपन से उसका दिमाग ऐसा ही था। मौके पर कहीं गुम हो जाता था।
सूबे में सैलाब आया था पड़ा था और वो अपनी अम्मी को गजलें सुनाता रहता। अम्मी अब्बू के गुम हो जाने से बुत बन गई थीं, उसकी गजलों ने ही अम्मी को असली दुनिया में लौटाया था।
एफ-वन, एफ-टू और एफ-थ्री की गिनती पूरी हो चुकी थी। तीनों नाली से उछलकर गोलियां चलाने लगे। फोर्स के जवान तैयार थे। उनकी गोलियों ने दस तक की गिनती से पहले ही तीनों को ढेर कर दिया।

                                                         ४


नाली से तीन लाशें निकाली जा चुकी थीं। सर्चिंग जारी थी। बड़ी-बड़ी मूछोंवाला एक छह फुटा अफसर बल्देव सिंह वहां आया। जवान उसे सैल्यूट देने की कोशिश में अपने शरीर की पूरी ऊंचाई में तन गए। लाशों को देखते हुए उसने अपनी मोटी मंूछों को ताव दिया। उसके बोलने में आह्वान की गंूज थी ‘अभी यहां हमारे पच्चीस बाज (जवान)उतरेंगे। किसी को नहीं हिलना है। दो-तीन घंटे में सुबह होने वाली है। किसी को कोई सवाल पूछना है?’
समवेत स्वर गूंजा ‘नो सर..’
बल्देव सिंह ने आंखों को बड़ा करते हुए हुंकार भरी ‘और जोर से बोलो..आवाज बार्डर पार जानी चाहिए।’
‘नोऽऽऽऽऽऽऽऽसरऽऽऽऽऽऽऽऽ’
जवानों की हुंकार खेत की चोर सुरंग में वापस जा छिपे अमानत के कानों में पड़ी। उसने आंखें बंद ली और चेहरा मिट्टी में धंसा दिया।
सडक़ पर फौज की गाड़ी देखकर ही उसने मौत को महसूस कर लिया था। उसके साथियों को मार गिराने के बाद फोर्स की सर्चिंग दरिया और सडक़ में होने लगी थी। सांस बंद किए देर तक नाली में लेटे रहने के बाद तकदीर उस पर मेहरबान हुई थी। जवान उस तक पहुंचने ही वाले थे कि बल्देव सिंह आ गया। अमानत को नाली से बाहर जाकर सुरंग में घुसने का मौका मिल गया था। किस फुर्ती से वो नाली से सुरंग तक पहुंचा था, उसके फरिश्ते ही जानते थे।
अम्मी की दुआ ने साथ दिया होगा..जो पराए मुल्क के सिपाहियों को आहट न मिली।उसने अपनी अल्पविकसित समझ से यह सोचा था कि सुरंग से वापस वो अपने मुल्क निकल जाएगा। वो सुरंग में आगे बढ़ा। आधी सुरंग तक सरकने के बाद उसे ढेलों का ढेर मिला। उसने पंजों से ढेर को हिलाया। धेले उसकी ओर लुढक़ने लगे। वो जितनी बार ढेर में हाथ घुसाता, धेले लुढक़ते।
उसके मुल्क की ओर से उन चारों के हिस्से की मिट्टी डाल दी गई थी।
कैंप में उसे सिखाया गया था ‘काफिरों के हाथ पडऩे से बेहतर है अपनी गर्दन काट लेना।’ 
उसने चाकू अपनी गर्दन पर टिकाया। चाकू में धार नहीं थी। गर्दन कट तो जाती! दर्द इतना होता कि जान अटक जाती।
दर्द में मौत भी किस काम की, इससे अच्छा तो जीना है। अब्बू ऐसा कहते थे। अब्बू सैलाब के बाद से गुम थे। ऊपरवाले से आखिरी फरियाद है कि उनको दर्द न मिला हो।
उसने चाकू कलाई से लगा लिया। तीन तक गिनकर तीसरी गिनती पर कलाई काटना मंजूर किया।
एक..दो.. .. तीन।
सुरंग के बाहर फोर्स की गश्ती थी। जवान अपनी गनों की नाल से पौधों और झाडिय़ों को टटोल रहे थे।
- ‘ ओए..सुरंग को खुला किसने छोड़ा है? साहब का आर्डर नहीं सुना था तूने। तीनों यहीं से निकले थे। बंद कर इसे अभी।’
- ‘ सोच रिया हूं कोई आ जावे..यहीं गिन दूं.. ओजी..ओजी..अंदर मरा पड़ा है ..अंदर है कोई!’
शक्तिशाली टार्च की रोशनी चोर सुरंग के अंदर फेंकी गई। अंदर कीचड़ सने लबादे में अमानत पड़ा था। आंखें उलटी हुई थीं। उसे खींचकर बाहर निकाला - ‘ ओजी..ओए होए..लॉटरी लाग गी..जिन्दा है। बल्देव सिंह शबासी देंगे।’
                                                        
क्रमशः ...
कहानी का अंतिम हिस्सा जल्द ही ...

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