बेपरदा ख्यालों ने मेरी बात रख दी
गुजारिश मगर उनसे जुदा नहीं थी
कहा होगा जर्रे को दोस्त मिला नहीं
उसकी ख्वाहिशें दबी रह जाती हैं
मेरे हाथों खाक हुए हैं जलते चिराग
इसलिए सिरहाने जला रखे हैं रातों में
और जल मैं भी जाऊं तो अंधेरा होगा
पेशानी पर कब्र बना रखी है ऐसी
किस्मत से रुठकर बैठना छोड़ दिया
आंसू बह रहे मौजों के थपेड़ों से
आहटों ने फैलाई होगी खुशफहमी
पुराना आशिक लौटा है शहर में
बेमुरव्वत होकर देखना राहों को
मेरे कत्ल का हो पक्का चश्मदीद
धोखेबाज कागजों में नज्म लिखी है
अक्स तेरा खुद में समाता देखकर
आरजू का फासला है बेखुदी से
लेकिन बेपरदा ख्याल हकीकत हैं
सजा इनको भी मुझसे ही मिलेगी
इनका जुर्माना मेरी जिंदगी भरेगी
-tapas
{-: नाचीज़ आवारा आशिक़ी का शायर है, रवानी उसकी मोहब्बत में भी है मगर लफ्जों ने किनारा कर लिया तो बेचारा क्या करे ! }
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