Friday 2 September 2016

परिभाषाओं की नैतिकता -संदर्भ: दिल्ली के मंत्री का वीडियो वायरल होना

एक मंत्री का सेक्स वीडियो वायरल हो जाना हमारी चारित्रिक नैतिकता को आइना दिखा सकता है क्या? सुविधाजनक और सोचा-समझा जवाब है ‘नहीं’। हमारे पास नैतिकता की परिभाषाएं हैं।
 दिल्ली के महिला एवं बाल कल्याण मंत्री संदीप कुमार का वीडियो रिलायंस जिओ सिम से भी अधिक मांग में है। जिन्हें यह पढक़र अपने चरित्र पर लांछन महसूस हो रहा हो वे थोड़ी देेर के लिए अपने जीवन का वीडियो जो उनकी स्मृति में अपलोड है, डाउनलोड कर लें। अपने चरित्र प्रमाण पत्र पर उनको स्वयं का हस्ताक्षर करने का मन न होगा। वीडियो देखने के तलबगार सब हैं, बस कहना नहीं चाहते। किसी व्हाट्सग्रुप के जरिए इसे पा जाना चाहते हैं। जैसे सोशल मीडिया में संदीप कुमार अब खबर नहीं हैं। उनका वीडियो मिलना-नहीं मिलना खबर है। जिसे वीडियो मिला वो दूसरों को इसे भेजकर अपनी पहुंच दिखा रहा है। यह भी एक नैतिकता है कि जो अपने पास है, उसे दूसरे को बांटो।
संदीप कुमार के लिए चित्र परिणाम

दरअसल दुनिया में कहीं सद्चरित्र होनेे का तय मापदंड नहीं है। शारीरिक संपर्कों को एक दायरे में स्वीकार लिया जाता है। बिल क्लिंटन के दोष के बावजूद हिलेरी क्लिंटन ने उन्हें स्वीकारा। आज हिलेरी दुनिया की सबसे ताकतवर कुर्सी की प्रबल दावेदार हैं। नैतिकता मानव व्यवहार का गुण है, अनिवार्यता नहीं। यह व्यवहार में लाकर नहीं, दिखाकर साबित की जा सकती है। इसलिए नैतिकता की सुविधाजनक परिभाषाएं उपलब्ध हैं। मसलन, चापलूस होना अनैतिक नहीं है। समाज के लचीले नियम में पद या पैसे के लालच में संपूर्ण व्यक्तित्व का समर्पण समझदारी है। चापलूसी को प्रायोजित करनेवाली एक परिभाषा है कि यह परिस्थिति पर निर्भर है कि कहां जमीर चाहिए, कहां आत्मसम्मान। चापलूसी खुलेआम हो तब भी यह परिभाषा लागू होती है।
ठीक इसी तरह घूस लेना नैतिकता की आर्थिक परिभाषा के अनुरूप बुरा नहीं है। गरीब के लिए यह उपहार की श्रेणी में आता है। अमीर के लिए नजराना। नैतिकता की प्रतिष्ठित परिभाषा कहती है कि पद के साथ मिली प्रतिष्ठा का धन में बदल जाना रिश्वत है। शराबखोरों के लिए बनी नैतिकता की नैनो परिभाषा कहती है कि शराबनोशी आमबात है। आदमी होश में रहे तो नशा नैतिकता के विरुद्ध नहीं है।

संदीप कुमार के लिए चित्र परिणाम

नैतिकता पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने भावुक वीडियो में कहा है ‘हमने पार्टी से एक गंदी मछली को निकाल बाहर फेंका है।’ उन्होंने मनीष सिसोदिया से कहा है कि वे (अरविंद) भी कहीं इस तरह के किसी हेय कार्य में संलिप्त दिखें तो उन्हें भी पार्टी से बाहर कर दिया जाए। कांग्रेस और भाजपा को केजरीवाल की यह घोषणा बड़े गौर से सुननी चाहिए क्योंकि उनके पास भी नैतिकता की दलगत परिभाषाएं हैं। कांग्रेस में गांधी सरनेम नैतिकता पर मुहर लगाता है। गांधी के साथ जुड़े तमाम लोग नैतिक हैं। भाजपा में तो भगवा और भगवान श्रीराम हैं, जिनकी काट नहीं हैं। राजनीतिक दलों में नैतिकता चहुंओर है, उनकी बनाई हुई अलग-अलग परिभाषाओं के मुताबिक।
तुम्हारी नैतिकता को ये वाली परिभाषा सूट करती है तो तुम इसे रख लो। समाज कुछ नहीं कहेगा। वो नैतिकता से पहले पद, पैसा और रसूख देखता है।
संदीप कुमार के लिए चित्र परिणाम


नैतिकता की सामाजिक परिभाषाओं में से एक के मद्देनजर दुष्कर्मी का विधायक बनकर मतदाता के घर आना सही है। घर की महिलाओं द्वारा आदरभाव से उसकी आरती उतारी जाती है और विधायक की नजर घर की कमसिन ‘आरती’ पर होती है।
समाज ने धर्म को स्थापित किया है। यह भी सर्वविदित है कि उस समय ही समाज ने धर्म के बीच नैतिकता को समझाने के लिए परिभाषाएं तैयार कर ली थीं। सामाजिक पदों पर प्रतिष्ठित और नैतिकता की सुविधाजनक परिभाषाओं से मान पाए हुए बहुत से महान चरित्र हर रात शराब पीकर पोर्नसाइट में दूसरों का चरित्र तलाशते हैं। दिल्ली के मंत्री संदीप कुमार का चरित्र भी इसी प्रकार का है। वे नैतिकता की परिभाषा बनाते हुए कह रहे हैं ‘मैं दलित हूं इसलिए मुझे फंसाया जा रहा है।’

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